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प्यार हुआ चुपके से ( 1 )

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दिल्ली रेलवे स्टेशन



बाकी दिनों के मुकाबले आज स्टेशन पर भीड़ काफ़ी कम थी। लोगों की आवाजाही के बीच स्टेशन पर ट्रेन के आने जाने की अनाउंसमेंट हो रही थी। इसी बीच एक रेल प्लेटफॉर्म नंबर 4 पर आकर रूक गई। 

रेल के एक कंपार्टमेंट में बड़ी ही तेजी के साथ एक लड़का और एक लड़की अपना बचाव करते हुए लोगों के बीच से होते हुए गेट के पास पहुंचने में सफल हुए। दोनों अपने साथ दो दो ट्रैवलिंग बैग्स और पीठ पर एक एक बैग पैक लिए हुए थे। दोनों अपना सामान उतार कर प्लेटफार्म पर चलने लगे।

दोनों की उम्र तकरीबन 21 साल थी। लड़की ने कैजुअल कपड़े पहने हुए थे और बालों का बन बनाया हुआ था। सिम्पल होने के बाबजूद भी उसकी पर्सनैलिटी काफी अट्रैक्टिव थी।

"तुम अगर अपने सभी काम टाइम से कर लेते तो हम इतनी भागदौड़ से बच जाते। भागदौड़ तक तो ठीक था.........ऊपर से इस एक्सप्रेस में आना पड़ा जो बैलगाड़ी से भी धीरे धीरे चलती है। इतने स्टॉप तो लोकल ट्रेन के भी नही लगते..........." लड़की ने अपनी पूरी बात एक ही सांस में कह डाली। 



"आशी! इतना गुस्सा किस काम का, जो आपको ही खा जाए।" लड़के ने हंसते हुए जवाब दिया। जिससे उसके खुशमिजाज होने का पता चल रहा था।

"शिवी......।" इतना कह कर आशी उसे घूरने लगी और फिर आगे बोली। "पहले स्टेशन की तरह अब यही पर रहने का इरादा है?"

"तुझे कितनी बार बोला है मुझे शिवी मत बुलाया कर...!" वह बच्चों की तरह मुंह बनाते हुए बोला। लड़के ने भी कैजुअल कपड़े पहने हुए थे। उसके बाल माथे पर पड़े हुए थे, जिस वजह से उसका हुलिया कोरियन लड़को से मिलता जुलता लग रहा था।

थोड़ी देर आपस में लड़ झगड़ कर वें दोनों वहां से चल दिए।

आशी बड़ी फुर्ती के साथ चल रही थी जिस वजह से लड़के को उसके साथ चलने के लिए दौड़ना पड़ रहा था। पर थोड़ी देर बाद वह आशी को पीछे छोड़ने में सफल हुआ। वह जरा सा ही आगे निकला था कि तभी आशी ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ़ खींच लिया जिसकी वजह से वह गिरने से बाल बाल बचा।

"ए आशी....! तू पब्लिकली मेरे साथ करना क्या चाहती है?" उसने शरमाते हुए कहा।

"अरे ओ मूर्खों की महारानी...! फालतू की ड्रामेबाजी कम किया कर। भूल गई तू एक लड़की है और अगर याद ना हो तो वाशरूम में जाकर चेक कर ले।" वह उसे घूरने लगी और फिर बोली। "आगे का सफर बिना टिकट के करने का इरादा हो तो ऐसे ही चल! या फिर...... टीटी के साथ तेरा अफेयर हो? " इतना कहते ही आशी हँसने लगी और शिवी अजीबों गरीब मुंह बनाने लगी।

"तू मेरा बहुत मजाक बनाती है। अब अकेली जाकर टिकट लेकर आ। मै नही जा रहा तेरे साथ।" उसने ऐंठ दिखाते हुए कहा।

"आज से पहले तू कब टिकट लेकर आई है ? तुझे तो खाली काउंटर पर ही बातों में लगा लो। बातूनी कही की..." आशी ने उसके सिर पर चपत लगाई और वहां से चली गई।

पांच मिनट में ही आशी टिकट लेकर वापिस आ गई।

"क्या बात है बड़ी जल्दी टिकट ले आई।" वह आशी का कंधा थपथपाते हुए बोली।

"ये तो आर्शिया आर्य की स्पीड का कमाल है।" आशी सेखी बिखरते हुए बोली।

वें दोनों आगे बातचीत कर पाती उस से पहले ही अनाउसमेंट होने लगी। 

"यात्रीगण कृप्या ध्यान दे। जयपुर जाने वाली ट्रेन प्लेटफॉर्म नम्बर 12 पर पहुंच गई है।" इसके बाद सेम लाइन इंगिल्श में अनाउश होने लगी।

"मर गए आशी...! प्लेटफॉर्म नम्बर 12 सबसे आखिर में है।" इतना कहते हुए वह सिर पकड़ते हुए शिवी नीचे बैठ गई।

उसे उठाते हुए आशी बोली। "भाग शिवी।" और इतना कहते ही अपना सामान उठाकर कर प्लेटफॉर्म नम्बर 12 की तरफ भागने लगी। शिवी भी उसके पीछे पीछे भागने लगी।



सीधे रास्ते से ज्यादा टाइम लगने की वजह से उन दोनो ने ब्रिज के रास्ते से जाना ही उचित समझा। वें अभी आधे रास्ते पर ही पहुंची ही कि एक बार फिर से अनाउसमेंट होने लगी। 

"जयपुर जाने वाली ट्रेन कुछ ही देर में प्लेटफॉर्म से रवाना होने वाली है।"

इतना सुनते ही वें दोनों ओर भी तेजी के साथ दौड़ने लगी। जैसे ही वें प्लेटफॉर्म पर पहुंची रेल धीरे धीरे चलने लगी। आशी ने पहले शिवी को चढ़ने के लिए बोला। शिवी आराम से चढ़ गई। उसके चढ़ते ही आशी ने सामान फेकना शुरू कर दिया। शिवी ने चारों बैग्स को एक साइड में कर दिया। पर जब आशी की चढ़ने की बारी आई तो रेल पहले से तेजी के साथ चलने लगी।



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जयपुर



इक्कीस साल का एक लड़का, जिसकी लम्बाई छः फीट दो इंच, गौरा रंग जो हल्की बियर्ड में काफी स्टाइलिश दिख रहा था। चुपचाप अपने बैड पर बैठा हुआ था। अनगिनत विचारों को लिए हुए वह वह गहरी सोच में डूबा हुआ था। तभी अचानक से वह अपनी जगह से खड़ा हुआ और जोर जोर से चिल्लाने लगा। "उसे मेरे साथ ऐसा नहीं करना चाहिए था।" इतना कहते ही वह किसी बेजान शरीर की तरह फर्श पर घुटनों के बल गिर गया और फूट फूट कर रोने लगा।

रोते रोते वह अपनी पुरानी यादों में खो गया। 



"मुझे माफ करना अयान! मै तुम्हारे साथ रिश्ता नही रख सकती।" लड़की अपना सिर झुकाकर अयान के सामने खड़ी हुई थी। उसे इस तरह से खड़ा हुआ देख अयान की कुछ भी समझ में नही आ रहा था कि वह ऐसा क्यों कह रही थी। वह बड़ी मुश्किल से बस इतना ही बोल पाया। 

"पर क्यों..?" इतना कहते ही वह चुप हो गया। कुछ देर तक लड़की ने कोई भी हरकत नही की सिवाए सड़क को घूरने के।

 "माही.....! तुम मुझे कुछ बताओंगी भी?" इतना सुनते ही माही अपने ख्यालों से बाहर आई और अयान के चेहरे की तरह देखने लगी जिस पर बैचेनी साफ साफ दिखाई दे रही थी।

"मुझे पता है, तुम किसी को आसानी से खुद से अलग नहीं कर सकते। पर........" इतना कहते ही माही चुप हो गई।

"पर....क्या ?" अयान की बैचेनी लगातार बढ़ते ही जा रही थी।

"पर मेरी मजबूरी है। तुम्हें मालूम है ना कृष मेरा बीएफ है।

"वह आगे कुछ बोल पाती अयान पहले ही बोल पड़ा। "पता है, उसे क्या हुआ?"अयान किसी मासूम बच्चे की तरह प्रश्नसुचक दृष्टि से माही को देखने लगा।

"उसे कुछ नही हुआ। उसने मुझे तुम में से और उसमें से किसी एक को चुनने को कहा है।" इतना कहते ही माही की आंखों से आंसु निकलने लगे।

आयान को यह बात सुन जोर का झटका लगा। "पर क्यों ?" वह अपना एक एक शब्द बड़ी मुश्किल से बोल पा रहा था।

वह अपने आंसुओं को पौझते हुए बोली। "क्योंकि उसको लगता है कि हम दोनों का चक्कर चल रहा है।" वह इतना कहते ही चुप हो गई।

इतना सुनकर अयान की आंखे फटी की फटी रह गई। "पर तुम्हें उसे समझाना चाहिए था कि ऐसा कुछ भी नही है। वी आर बेस्ट फ्रेंड।" उसने अपने गुस्से पर काबू पाते हुए कहा।

"मैंने उसे हर तरह से समझाया कि तुम मेरे बहुत अच्छे दोस्त हो और हमेशा मेरी मदद भी करते हो। पर उसने मेरी एक ना सुनी। उसे ऐसा लगता है कि मैं उस से ज्यादा तुम्हें भाव देती हूं। तुम्हारे साथ ज्यादा टाइम स्पेंड करती हूं। यू नो मेल इगो इस मोर इंपोर्टेंट देन एनी अदर थिंग्स।" वह अपने आसुओं को बड़ी मुश्किल से ही रोक पा रही थी।

"मै तो अपने दोस्तों को लेकर भी बहुत ज्यादा पोसेसिव हूं वो तो फिर भी तुम्हारा बीएफ है। मै अच्छे से समझ सकता हूं। तुम्हें अपने बीएफ के साथ ही रहना चाहिए।" वह खुद को नॉर्मल दिखाने की असफल कोशिश कर रहा था।

"थैंक्यू सो मच। तुमने हर बार की तरह इस बार भी मेरी हेल्प की।" इतना कहकर वह वहां से चली गई। अयान किसी मूर्ति की तरह जाती हुई माही को देखता रह गया।



इसके साथ साथ उसे माही के साथ बिताए पल याद आ गए। कुछ देर तक तो वह शांत बैठा रहा। पर दोबारा फिर से उसकी आंखो में आंसू खुद ब खुद निकल पड़े। इस बार के आसुंओ की वजह से वह वास्तविकता में आ गया और पहले से भी तेजी के साथ फुट फुट कर रोने लगा। कुछ देर रोने के बाद वह अपनी जगह पर गुस्से में झुंझलाकर खड़ा हुआ और अपने पास रखा हुआ फ्लावर पॉट उठाकर दरवाजे की तरफ दे मारा। जिस ओर से उसकी बहन उसके रोने की आवाज सुन कर उसे मिलने के लिए आ रही थी। 





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आशी के नीचे ही रह जाने की वजह से शिवी रोने लगी। आशी अपनी फुर्ती की वजह से रेल में चढ़ने में सफल हुई।

"अगर आज तू नीचे रह जाती तो मैं भी नीचे कूद कर अपनी जान दे देता।" इतना कहते हुए रोती हुई शिवी ने आशी को कसकर गले लगा लिया।

"ऐसे थोड़े ही नीचे रह जाती। मै बहुत फुर्तीली हूं।" वह शिवी को चुप कराते हुए बोली।

"बस कर, आई बड़ी फुर्तीली। ज्यादा मत उझला कर।" शिवी ने गुस्से में कहा जिसमें आशी के लिए फिक्र साफ साफ दिखाई दे रही थी।

आशी को मालूम था शिवी हर मुसीबत को हंसी मजाक में टाल देती है बस उसकी सेफ्टी को छोड़कर।

"ठीक है मेरी मां, आगे से ऐसा कुछ भी नही करूंगी।" इतना कहते ही आशी ने अपने दोनों कान पकड़ लिए। यह करते हुए वह बेहद मासूम दिख रही थी।

"अब की ना समझदार बच्चों वाला काम।" इतना कहते ही शिवी हंसने लगी।

"यही खड़े रहने का इरादा है क्या?" जब उसे एहसास हुआ कि वें अभी तक गेट पर ही खड़ी हुई है। शिवी बैग्स उठाकर वहां से चल दी। पर जैसे ही वह मुड़कर चलने लगी। एक लगभग तीस साल का मवाली रास्ते में आकर बैठ गया। उसे रास्ते में बैठा देख वह बड़ी ही तमीज के साथ बोली।

"अंकल प्लीज साइड हो जाइए। हमें आगे जाना है।" इतना कहने के बाद भी वह रास्ते से नही हटा। उसे लगा शायद उन्हें उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया इसलिए वह दोबारा फिर से बोली। पर कई बार कहने के बावजूद भी वह रास्ते से नही हटा। इतना सब देख आशी को गुस्सा आ गया वह गुस्से से दनदनाते हुए बोली।

"इतनी देर से तमीज से कह रहे है, आगे से हट जाइए। पर आपको तमीज रास आए तब ना! खुद को प्रिंस चार्मिंग समझते हो या फिर ट्रेन का मालिक जो कुछ भी कर सकते हो। अपने घर में तो आप लोगों की बच्चों के सामने भी नही चलती और यहां लोगों का रास्ता रोक कर बैठ जाते हो......." आशी का रवैया देख वह सहम गया और वहां से उठकर चला गया। उसे चलता हुआ देख पास खड़े हुए लड़के उस व्यक्ति का मजाक उड़ाते हुए बोले।

"अंकल पहले ही उठ जाते तो कम से कम इज्जत तो बच ही जाती।" इतना कहकर वे सब जोर जोर से हंसने लगे। उसके जाते ही आशी भी अपना सामान उठाकर आगे बढ़ गई।



अपनी सीट के पास पहुंचते ही आशी और शिवी अपना अपना सामान उठाकर ऊपर रखने लगी। सामान रखने के बाद वें दोनों खुद भी ऊपर जाकर बैठ गई।  

अपनी सीट पर बैठते ही शिवी अपने फोन में कुछ टाइप करने लगी। "मै उसे अपने साथ ले आई हूं।" इतना लिख कर उसने किसी को मैसेज सेंड कर चैट डिलीट कर दी।



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कहानी जारी रहेगी..............

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8 Comments

यह शिवि का पात्र को लेकर कहानी की स्टार्टिंग ही ऐसे की हो, की मुझे दोबारा से पूरा भाग पढ़ना पड़ा।😂😂 पर पहले ही भाग के 5चो मुख्य किरदार कहानी को काफी रोचक बना रहे है। किसी भी परिस्थिति में शिवि का खुशमिजाज रहना, आशी को खुद पर एक गजब का आत्मविश्वास होना, अयान का अपनी दोस्त के लिए टूट सा जाना तो कहानी को रोचक बना ही रहे हैं। पर आशी और शिवि की नोकजोक बहुत प्यारी है। इन दोनों की दोस्ती और अयान और माही की दोस्ती भी कहानी को अलग ही रुख दे रहे है। कहानी को सस्पेंस बनाते हुए हास्य को मिलाते हुए पहले ही भाग शुरुआत काफी अच्छी है। कहानी के सभी पात्रों के नाम की तरह ही डायलॉग्स और उनकी भावनाओं का भी काफी अच्छे से जिक्र किया है। खासतौर पर अयान की फीलिंग्स का जिक्र! अयान के साथ जो हुआ कहानी में ऐसा मैं रियल में होते दो लोगों के साथ देखी हूँ।😂😂 पर ऐसे को भी देखी हूँ जो क्रिष से बिल्कुल उलट है। बेचारे की प्रेमिका कोशिश कर करके थक जाए की उसे जलन मचे😂😂 पर पता नहीं उनका रिश्ता अलग टाइप का था🤔🤔 या वो दोनों किसी दूसरी दुनिया के थे, जो प्रेमी की जगह प्रेमिका पर असर पड़ जाता था😂 और फिर उसके बाद का रहन देती हूँ।बस देखते है आगे कौन सी बहुत बडी घटना घटने वाली है?🤔🤔 वैसे यह अर्शिया आर्य कौन है?🤔

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Achha likha hai aapne 🌺💐

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Art&culture

18-Apr-2022 10:00 PM

👍👍

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